क्या यह सोच या विचार विश्व के लिए धर्मनिरपेक्ष नहीं है। शूद्र जाति की लिस्ट, शूद्र जाति, भारत का पहला शूद्र राजा कौन था, शूद्र कौन थे PDF download, क्
मुझे लगता है कि
१. अगर आप सुबह खुद नहा धोकर अपने लड्डू गोपाल को भी नहलाते है या नियम से पूजा पाठ करते है (पद्धति कोई भी हो ) तब आप ब्राह्मण के रूप में होते है।
२. उसके बाद नास्ता करके अपनी नौकरी (नौकरी चाहे करोड़ो की या कुछ रुपयों की) पर जाते है तब आप दिन भर शूद्र के रूप में होते है।
३. प्रतिदिन काम से आते जाते अगर कही किसी रोज़ किसी के साथ कुछ बुरा होता हुआ देखते है, तो जब अपना मानव कर्तव्य निभाते है तब आप क्षत्रिय के रूप में होते है।
४. पर अगर आप किसी की नौकरी नहीं करते अर्थात अपना खुद का धंधा, किसानी करते है तो आप शुद्ध वैश्य के रूप में होते है
ये चारो वर्ण वाला आभास कराने वाला क्षण हर मनुष्य के जीवन में चलता रहता है। अब ये आपका स्वयं का अधिकार है कि किस क्षण को ऊंच नीच में बांटते है।
ये किसी काल का ब्रह्माण्ड हो या किसी शरीर के साथ बीतने वाला क्षण हो या रीड की हड्डी हो। चारो का सम्म्मान बराबर है सभी भगवान विष्णु के अंग का हिस्सा है
इस बात में कोई शक नहीं की आप अपने शरीर के सभी अंगो को समान रूप से प्रेम करते है और उनका ध्यान रखते है। ऐसी ही भगवान् विष्णु सभी का पालन करते है। क्युकी ऐसा विरला ही होगा जिसे अपने शरीर के किसी अंग से घृणा होगी।
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भगवान बुद्ध |
इसी नाते से हर मनुष्य एक दूसरे का सहायक है जीवन यापन में, इसे विश्व बंधुत्व समझता हूँ। और इन भाइयों का ही परिवार ये धरती है। जिसे मैं वसुधैव कुटुंबकम समझता हूँ । आप जो भी सोचते हो, मेरे लिए तो चारो वर्ण समानता से किसी न किसी रीढ़ का हिस्सा है।
यीशु प्रभु, पुनर्जन्म के बाद जो बन गए । वहां तक कौन पहुंच सकता है।?
निर्वाण तक, बुध्द भगवान योग के माध्यम से पहुंचे, वहाँ तक कौन पहुंच सकता है?
जितने बड़े जगत गुरु कृष्ण भगवान् , वहाँ तक कौन पहुंच सकता है? (कृष्णं वंदे जगद्गुरुम्)
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